2021-08-16

Satellite Internet क्या है - पूरी जानकारी



Satellite Internet क्या है यह कैसे हर जगह इंटेरनेट की सुविधा देगा। इस तकनीक में केबल बिछाने की जरुरत नही हैं आइए जानते है इसकी पूरी जानकारी। 


आप सब को पता है अब Internet हमारे जीवन में बहुत उपयोगी हो गया है। इसके बिना हम रह नही सकते है। इंटरनेट के माध्यम से कनेक्टिविटी अब एक ‘विकल्प’ नहीं बल्कि एक तत्काल आवश्यकता बन गई है। बिल का भुगतान, यात्रा, किराने का सामान, भोजन, टेक्स्टिंग और बहुत कुछ इंटरनेट पर निर्भर करता है। यदि आवश्यकता बढ़ गई है, तो प्रयास ने भी इसे विश्वसनीय बनाना शुरू कर दिया है।


आज भी, देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां इंटरनेट नहीं पहुंचा है। इस अंतर को खतम करने के लिए अब सैटेलाइट इंटरनेट आ गया है। जिसके जरिए दूरस्त इलाकों से लेकर पहाड़ों और घाटियों तक इंटरनेट उपलब्ध होगा।


What-is-Satellite-Internet-सैटेलाइट इंटरनेट

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए किसी केबल की जरूरत नहीं होगी। यह दूरसंचार कंपनियों की सबसे बड़ी कठिनाई भी है, क्योंकि हर क्षेत्र में केबल बिछाना संभव नहीं है।


Satellite Internet kya hai - सैटेलाइट इंटरनेट क्या है?

सैटेलाइट इंटरनेट का अर्थ है कि Internet Service Provider (ISP) अंतरिक्ष में उपग्रह (Satellite) को डेटा सिग्नल भेजता है। जिसकी सहायता से हमारा Internet चलता है इसके लिए आपके घर या किसी अन्य रिसेप्टर में एक डिश लगाई जाती है जिससे यह Internet को Bounce करता है।


आपको पता ही है परंपरागत रूप से केबल सहायता के साथ इंटरनेट प्रदान किया जाता है। लेकिन Satellite Internet में केबल की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसी स्थिति में, आप हमेशा ऑनलाइन रहने के लिए सैटेलाइट इंटरनेट पर विश्वास कर सकते हैं।


सैटेलाइट इन्टरनेट को आसान भाषा में बताता हूँ. सैटेलाइट इन्टरनेट में इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर अन्तरिक्ष में स्थित सैटेलाइट के द्वारा आपके घर पर लगे छोटे सैटेलाइट डिश को इन्टरनेट सेवा देता है. ठीक उसी तरह जैसे घर पर लगे डिश टीवी ऐन्टेना काम करता है.


सैटेलाइट इन्टरनेट को स्पेस इन्टरनेट भी कहते है. सैटेलाइट इन्टरनेट में पृथ्वी पर एक तरफ छोटी सैटेलाइट डिश होती है जो पृथ्वी के भू-स्थैतिक कक्षा में घूमने वाले सैटेलाइट को डाटा भेजती है और उससे डाटा रिसीव करती है. 


जबकि दूसरी तरफ कक्षा में मौजूद सैटेलाइट पृथ्वी पर Network Operations Center के द्वारा इन्टरनेट से मांगी गयी लेकर उसी रास्ते से छोटी सैटेलाइट डिश को दे देता है.


सैटेलाइट ब्रॉडबैंड क्या होता है?

यह एक तरीके से इंटरनेट चलाने का तरीका होता है. इस खास तरीके में इंटरनेट चलाने के लिए सीधे सैटेलाइट से डेटा मिलता है, जो धरती पर लगे स्मॉल सैटेलाइट डिश को मिलता है और उससे इंटरनेट चलाने में मदद मिलती है.


इससे उन लोगों को मदद मिलेगी, जो नॉर्मल ब्रॉडबैंड सर्विस से इंटरनेट नहीं चला पाते हैं, ऐसे में वो सीधे सैटेलाइट से मिलने वाले ट्रांसमिट से इंटरनेट चला सकेंगे.


अभी तक लोग वायर कनेक्शन, एडीएसएल, कैबल या फाइबर के जरिए इंटरनेट चलाते हैं, लेकिन इससे सैटेलाइट के जरिए सीधे इंटरनेट चला सकेंगे.


इससे बिना किसी फोन लाइन के इंटरनेट चला सकते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो इससे इंटरनेट का दायरा बढ़ जाएगा और लोग दूर-सुदूर इलाकों में भी इंटरनेट चला सकते हैं.


सैटेलाइट इन्टरनेट से जुडी कुछ तकनीकी जानकारी 


Orbit (कक्षा)

यह किसी भी ग्रह, उपग्रह और आकाशीय पिंड का परिक्रमा पथ होता है. ये गोलाकार, अंडाकार या पैराबोला के आकार का होता है. इसी पथ में सैटेलाइट घूमते है.


Satellite (सैटेलाइट) 

सैटेलाइट को हिंदी में उपग्रह कहते है. उपग्रह वो होते है जो ग्रह का चक्कर लगाते है. जैसे चन्द्रमा एक प्राकृतिक उपग्रह है. और पृथ्वी ग्रह का चक्कर लगाता है. इसी तरह सैटेलाइट कृत्रिम उपग्रह है जो पृथ्वी का चक्कर लगाते है.


भू-स्थैतिक कक्षा (Geo-Stationary Orbit-GEO)

यह ऑर्बिट पृथ्वी सतह से 35,786 किमी. की उचाई पर स्थित है. इसी कक्षा में सैटेलाइट को स्थापित किया जाता है. सैटेलाइट उतने ही समय में पृथ्वी का एक चक्कर लगाते है जितने समय में पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करती है. इसीलिये ये पृथ्वी से देखने पर स्थिर दिखाई देते है. अधिक ऊंचाई के कारण यहा सैटेलाइट पृथ्वी के 33 % हिस्से को कवर कर सकता है. अधिक ऊंचाई के कारण ही यहा के सैटेलाइट की लेटेंसी 500 ms या 0.5 सेकंड होती है. जो कि इन्टरनेट के लिए अच्छा नहीं है. खासतौर से ऑनलाइन गेमिंग के लिए.


Low Earth Orbit

LEO GEO की लेटेंसी प्रॉब्लम से बचने के लिए LEO में सैटेलाइटस को रखना होगा. यह पृथ्वी के सतह से ऊपर 200 किमी. से 2,000 किमी. तक है. स्पेसएक्स की स्टार लिंक इन्टरनेट परियोजना में सैटेलाइटस को इसी ऑर्बिट में स्थापित किया जायेगा. जिससे दूरी कम होगी और डाटा को कम दूरी की यात्रा करने के कारण लेटेंसी 20-30 मिली सेकंड हो जाएगी. जो कि अच्छी बात है. लेकिन यहा पर ध्यान देने वाली बात ये है कि कम ऊंचाई के कारण हमें पृथ्वी को पूरा कवर करने के लिए बहुत ज्यादा सैटेलाइट12000 से भी ज्यादा की जरुरत पड़ेगी.


लेटेंसी क्या होता है (What is latency)

जब भी आप ब्राउज़र में कोई वेबसाइट का एड्रेस टाइप करके इंटर करते है तो उस वेबसाइट के खुलने और आपके इंटर करने के बीच का समय ही लेटेंसी होता है. इसे आप Delay भी कह सकते है. और इस delay का कारण नेटवर्क उपकरण जैसे राऊटर, कनेक्शन (ऑप्टिकल फाइबर या सैटेलाइट), सर्वर की लोकेशन पर निर्भर करता है. लेटेंसी को मिली सेकंड(ms) में मापते है. लेटेंसी को चेक करने के लिए पिंग टेस्ट किया जाता है जिसे आप भी कंप्यूटर में कर सकते है.


हाई लेटेंसी ख़राब इन्टरनेट को दर्शाती है जबकि कम (Low) लेटेंसी हाई स्पीड इन्टरनेट की पहचान है. हाई लेटेंसी के कारण ही Lag पैदा होता है. आपने देखा होगा ऑनलाइन गेम खेलते हुए Lag को महसूस किया होगा. लेटेंसी जितनी कम होगी उतना ही अच्छा है. ऑनलाइन गेमिंग के लिए लेटेंसी 20 – 40 ms हो तो बहुत अच्छा है.


लेटेंसी को आप, यूजर के एक्शन और वेबसाइट या ऐप के रिस्पांस के बीच का समय अंतराल भी कह सकते है.जैसे मान लीजिये आप मोबाइल या कंप्यूटर में शूटिंग गेम खेल रहे है. अब आपके सामने टारगेट आया और आपने गोली चलायी लेकिन ज्यादा लेटेंसी के कारण आपकी गोली टारगेट को लगने से पहले ही आपका टारगेट भाग गया.


History of Satellite Internet - सैटेलाइट इन्टरनेट का इतिहास

पृथ्वी की कक्षा में satellite छोड़े जाने की शुरुआत 1957 में सोवियत यूनियन (आज के समय का रूस) के sputnik से हुई थी. रूस के इस कदम से दुनिया के सारे वैज्ञानिको के होश उड़ गए थे. इसी कदम ने दुनिया के सबसे सबसे शक्तिशाली देशों के बीच स्पेस रेस की शुरुआत की. बाद 1958 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपना पहला satellite explorer 1 छोड़ा था.


वर्ष 1962 में USA की Bell Labs ने Telstar लांच किया जिसने पहली बार सैटेलाइट टेलीविज़न ब्रौडकास्ट की शुरुआत की. 1964 में नासा ने पहला Geo-Stationary Satellite छोड़ा जिसका नाम था Syncom 3. 1967 में रूस ने और 1972 में कनाडा ने भी सैटेलाइट टेलीविज़न भी शुरू कर दिया.


1976 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर Taylor Howard ने एक एक सैटेलाइट डिश और रिसीवर बनाया जो आराम से घर पर इनस्टॉल हो जाता था. ये डिश अमेरिकी और रुसी सैटेलाइट के सिग्नल को पकड़ लेता था.


1993 में USA की Hughes Aircraft Company ने सैटेलाइट इन्टरनेट के लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था और वर्ष 2005 में सैटेलाइट इन्टरनेट सेवा देने के लिए Spaceway नाम का सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा. इसके बाद से और भी कंपनिया सैटेलाइट इन्टरनेट की सेवा देने लगी. 


इस समय सैटेलाइट इन्टरनेट सेवा देने वाली कंपनिया केवल USA और ब्रिटेन में है. जैसे-ViaSat, Echostar, Starlink, HugesNet, Bigblu. समय के साथ इन कंपनियों ने कैपेसिटी और बैंड विड्थ बढाकर इन्टरनेट सेवा को और भी तेज कर दिया.


Who invented Satellite Internet - सैटेलाइट इन्टरनेट का अविष्कार किसने किया ?

इन्टरनेट पर आपको सैटेलाइट इन्टरनेट के आविष्कारक के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलेगी. यहा पर किसी एक इन्सान को सैटेलाइट इन्टरनेट शुरू करने के श्रेय नहीं दे सकते है. सैटेलाइट इन्टरनेट शुरू करने के लिए USA की Hughes Aircraft Company का नाम लिया जाता है.


Components of  Satellite Internet - सैटेलाइट इन्टरनेट के भाग 


Dish

ये भी आपके टीवी डिश एंटीना के तरह होता है. जिसे आपके घर के पास एक सही पोजीशन में लगाया जाता है. ताकि ये सैटेलाइट को सिग्नल केन्द्रित करके भेज सके और सैटेलाइट से रिसीव कर सके.


Modem

Dish जो भी सिग्नल रिसीव करेगा वो मॉडेम को देता है. मॉडेम ही आपके राऊटर को इन्टरनेट से जोड़ता है. याद रखिये मॉडेम और राऊटर में अंतर होता है- मॉडेम आपको सीधे इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर से कनेक्ट करता है जबकि राऊटर, मॉडेम से इन्टरनेट लेकर आपको वाई फाई के द्वारा अनेक डिवाइस को इन्टरनेट बाँट कर देता है.


Network Operations Center (NOC) 


ये सारे सैटेलाइट इन्टरनेट के कम्युनिकेशन लिंक को कण्ट्रोल करता है. ये किसी भी तरह की समस्या जैसे पावर समस्या, सिग्नल की समस्या पर नजर रखती है. ये वर्ष में हर समय चालू रहते है.


Ground Station

ये ठीक टेलीफोन एक्सचेंज के तरह काम करता है. ये सैटेलाइट से आपका सिग्नल लेकर मुख्य इन्टरनेट को देता है और मुख्य इन्टरनेट से आपके द्वारा मांगी गयी जानकारी सैटेलाइट को दे देता है. आसान भाषा में कहे तो डाटा सिग्नल आ आदान प्रदान (एक्सचेंज) करता है.


Satellite Internet Company List


स्पेसएक्स (Spacex) 

एलोन मस्क ( Elon Musk ) की कंपनी ने USA और Canada में 4400 उपग्रहों के माध्यम से Starlink Satellite Broadband Internet Service देना शुरू कर दिया है।


अमेज़न (Amazon)

Amazon ई-कॉमर्स कंपनी को 3,200 से अधिक Satellites को Orbit में छोड़ने के लिए अमेरिकी सरकार से अनुमति मिली है। अमेज़न इस पर $10 Billion खर्च करेगा। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट का नाम ‘Project Kuiper’ दिया है।


एयरटेल (Airtel) 

Airtel भी 2022 में OneWeb के माध्यम से विश्व स्तर पर Broadband Services देना शुरू कर देगा। OneWeb ने 648 अंतरिक्ष यान को Orbit में भेजने की योजना बनाई है। इसमें से 74 अंतरिक्ष यान को Orbit में भेजे गए हैं।


भारत में सैटेलाइट इंटरनेट कब तक आएगा?

भारत में केंद्र सरकार ने Satellite Broadband Network के साथ ‘BharatNet’ परियोजना के तहत सीमा क्षेत्रों और नक्सल प्रभावित राज्यों और द्वीप क्षेत्रों में 5,000 ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिए Hughes Communications का चयन किया है।


इन ग्राम पंचायतों को मार्च 2021 तक Satellite BroadBand से जोड़ा जाएगा। ह्यूजेस कम्युनिकेशंस ने कहा कि ये 5,000 ग्राम पंचायतें हैं

पूर्वोत्तर राज्यों जैसे Manipur, Meghalaya, Tripura, Mizoram, Arunachal Pradesh में इंटरनेट सीधे सैटेलाइट से उपलब्ध होगा।


इसके साथ ही गैल्वेन घाटी, पूर्वी लद्दाख, अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप में भी इंटेरनेट उपलब्ध होगा। सरकार का लक्ष्य है कि अगस्त 2021 तक सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को तेज गति वाली BroadBand Service से जोड़ना है।


सैटेलाइट इन्टरनेट कैसे काम करता है - How does satellite internet work?


How-does-satellite-internet-work?


सैटेलाइट इन्टरनेट कैसे काम करता है ये जानने से पहले ये जान लेते है कि ब्रॉड बैंड इन्टरनेट या केबल इन्टरनेट कैसे काम करता है. 


टेलीफोन एक्सचेंज या कोई इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क द्वारा इन्टरनेट से जुड़े होते है. मान लेते है आपने बीएसएनएल एक्सचेंज से बीएसएनएल का ब्रॉड बैंड कनेक्शन लिया है तो एक्सचेंज से केबल आपके घर के मॉडेम में कनेक्ट होगा जो बाद में वाई फाई या केबल द्वारा लैपटॉप में इन्टरनेट देगा.


इसी तरह आप सैटेलाइट इन्टरनेट में भी इन्टरनेट से जुड़े होते है. यहा पर अंतर ये होता है कि सैटेलाइट बिना किसी केबल के (वायरलेस) सिग्नल को भेजकर आपको मुख्य इन्टरनेट से जोड़ता है. 


यहा पर केबल आपके घर के पास रखे डिश से कनेक्ट होता है. यही डिश एंटीना स्पेस में सैटेलाइट को सिग्नल भेजता है और रिसीव करके आपको देता है. इसे अब उदाहरण से समझते है.


आपने ब्राउज़र ओपन करके वेब एड्रेस टाइप करके इंटर किया. आपके इंटर करने के बाद कंप्यूटर से सिग्नल आपके घर में लगे मॉडेम में गया और फिर आपके डिश एंटीना में गया. 


ये डिश एंटीना आपके सिग्नल को रेडियो सिग्नल में बदलकर 186,000 miles per second की स्पीड से पृथ्वी के कक्षा में मौजूद सैटेलाइट को भेज देगा. अब ये सैटेलाइट पृथ्वी पर मौजूद (NOC) नेटवर्क ऑपरेशन सेंटर को सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन के द्वारा को उसी स्पीड से भेजता है.


नेटवर्क ऑपरेशन सेंटर (NOC) ऑप्टिकल फाइबर इन्टरनेट से जुड़ा होता है. इसी तरह NOC आपके द्वारा मांगी गयी वेबसाइट की जानकारी को इन्टरनेट से लेकर सैटेलाइट को वापस भेजता है और फिर सैटेलाइट आपके घर पर लगे डिश एंटीना के द्वारा मॉडेम को सिग्नल भेज देता है और वेबसाइट ओपन हो जाती है. 


ये चक्र इसी तरह चलता है और आप इन्टरनेट से जुड़े रहते है. ये सारी प्रक्रिया 1 सेकंड से भी कम समय में हो जाती है.


सैटेलाइट इन्टरनेट कहा पर उपलब्ध है?

इस समय सैटेलाइट इन्टरनेट केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (इंग्लैंड+वेल्स+स्कॉटलैंड+उत्तरी आयरलैंड) में है. एलोन मस्क ने भी भारत सहित कुछ देशो में स्टारलिंक सैटेलाइट इन्टरनेट सेवा शुरू करने की घोषणा की है. 


Hughes India कंपनी ने भारत के उत्तर पूर्वी इलाके जैसे लद्दाख, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश में सैटेलाइट इन्टरनेट देने के लिए इसरो के साथ समझौता किया है. इस तरह इसकी मांग आने वाले समय में रिमोट या दुर्गम क्षेत्रों में बढ़ने वाली है.


सैटेलाइट इंटरनेट के फ़ायदे क्या है ?


  • सैटेलाइट इंटरनेट का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि यह हर जगह उपलब्ध होगा।
  • Satellite Internet केबल पर निर्भर नहीं है, इसलिए जहां भी सिग्नल, उपग्रह के रिसेप्टर्स हैं इंटरनेट वहां उपलब्ध होगा।
  • अब कई वर्षों में सैटेलाइट इंटरनेट की गति बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ उपग्रह इंटरनेट प्रदाताओं ने उपयोगकर्ताओं को 25 MBPS Download गति प्रदान करना शुरू कर दिया है
  • अगर कभी प्राकृतिक आपदायें आ जाए तो उस समय सैटेलाइट इंटरनेट एक वरदान होगा क्योंकि, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, इंटरनेट केबल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
  • दूर दराज के इलाकों के लोगों, ग्रामीण इलाकों के छात्रों और दुर्गम जगहों पर तैनात सैनिकों के लिए सैटेलाइट इंटरनेट किसी वरदान से कम नहीं होगा।
  • सैटेलाइट इन्टरनेट की सबसे अच्छी बात ये है कि ये एक पूरे महाद्वीप को कवर कर सकता है. कोई भी लोकेशन हो जैसे पहाड़ी या पठारी या मैदानी क्षेत्र ये सबको कवर करता है.
  • आज के समय में 99 % इन्टरनेट ऑप्टिकल फाइबर केबल द्वारा दिया जाता है. ये केबल मोबाइल टावरों से जुड़कर आपको इन्टरनेट देते है. इन केबलो और टावरों को उबड़ खाबड़ और पहाड़ी क्षेत्रो में बिछाना कठिन होता है. इसलिए इन क्षेत्रों में केबलो का अच्छा विकल्प सैटेलाइट इन्टरनेट हो सकता है.
  • जहा पर dial-up इन्टरनेट है या इन्टरनेट के कम विकल्प है वहा पर ये अच्छा विकल्प होता है और हाई स्पीड इन्टरनेट देता है. Dial-up इन्टरनेट के तुलना में इनकी स्पीड बहुत ज्यादा होती है.
  • सैटेलाइट इन्टरनेट हाई बैंड विड्थ को हैंडल कर सकता है. इसका मतलब ये हुआ कि पीक समय पर बहुत ज्यादा यूजर होने पर आपके इन्टरनेट स्पीड पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
  • सैटेलाइट इन्टरनेट के लिए किसी तरह की फोन लाइन की जरुरत नहीं पड़ती है.


सैटेलाइट इंटरनेट के नुक़सान क्या है?


  • जो लोग हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन चाहते हैं, उनके लिए सैटेलाइट इंटरनेट थोड़ा निराशाजनक हो सकता है।
  • उचित उपयोग की नीति की बहुत सख्त सीमाएँ हैं।
  • सैटेलाइट इंटरनेट केबल इंटरनेट से ज्यादा महंगा है।
  • धीमे इंटरनेट कनेक्शन के कारण इसके जरिए केवल Browsing ही की जा सकती हैं।
  • ऑनलाइन गेमिंग और 4G स्ट्रीमिंग अभी भी दूर की सोच हैं।
  • सैटेलाइट इंटरनेट Virtual Private Network (VPN) का समर्थन नहीं करता है।
  • ख़राब मौसम जैसे तेज आंधी या बारिश सैटेलाइट इन्टरनेट को प्रभावित कर सकती है.
  • इसमे आपको डाटा को अन्तरिक्ष में भेजना फिर ISP को भेजना और फिर ISP से स्पेस और स्पेस से आपके पास भेजना. जिससे डाटा को ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है. इससे Delay या लैग पैदा होता है जो लेटेंसी के ज्यादा होने के लिए उत्तरदायी है. ये ऑनलाइन गेमिंग के अच्छा नहीं है.
  • आपके डिश को हमेशा दक्षिण दिशा में लगाना होता है. किसी भी तरह की रुकावट जैसे पेड़ या बिल्डिंग सिग्नल को रोक सकते है.
  • ये अन्य इन्टरनेट कनेक्शन के अपेक्षा महंगे होते है.
  • अन्तरिक्ष में हर वर्ष सैटेलाइट की संख्या बढ़ती जा रही है जिससे वहा पर Space junk (अन्तरिक्ष कचरा) बढ़ रहा है. Space junk के बढ़ने का कारण सैटेलाइटस का एक दूसरे से टकराना भी है.
  • सैटेलाइट इन्टरनेट कंपनी शुरू करने का शुरूआती खर्च ज्यादा होता है.

Final Words ( अंतिम शब्द )

दोस्तों मुझे पूरा यकीन  है आपको “Satellite Internet क्या है और Satellite Internet कैसे काम करता है” हिंदी में अच्छे से समझ आ गया होगा और इससे सम्बंधित कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट करके पूछ सकते है आपके प्रश्नों का जवाब देने में मुझे खुशी होगी. 

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